बुंदेलखंड संस्कृति

लक्ष्मीबाई रासो

वर्णिक सम चतुष्पदी
छन्द  कवि  विवरण

अर्द्ध नाराच

जोगीदास

प्रत्येक चरण में कुल द८ वर्ण तथा जगण, रगण एवं लघु गुरु होते हैं। जोगीदास के द्वारा प्रयुक्त अर्ध-नाराच पूर्णतया शुद्ध है। इनके द्वारा कवि ने सेना की सजावट, सेना प्रयाण, नगाड़ो का बजना, कायरों का पलायन आदि का वर्णन किया है।

नाग सरुपिनी (नग स्वरुपिणी)

जोगीदास

अर्ध नाराच की भाँति ही इस छन्द में भी प्रत्येक चरण में ८ वर्ण तथ ज र ल ग होते हें। जोगीदास के द्वारा प्रयुक्त इस छन्द की पद संख्या अनिश्चित है। इन्होंने इस छन्द द्वारा सैन्य वर्णन व युद्ध वर्णन किया है

भुजंगी 

चंद जोगीदास गुलाब, किशुनेश, श्रीधर

चंद के भुजंगी छन्दों में १२ तथा कहीं १३ वर्ण भी हैं तथा अंत में ल ग है। इस छन्द द्वारा उन्होंने सेना संचालन तथा युद्ध आदि का वर्णन किया है। जोगीदास के द्वारा प्रयुक्त भुजंगी में भी सर्वत्र १२ वर्ण ही रखे गये हैं। इस छन्द में इन्होंने सेना की तैयारी व चढ़ाई, वीरों का नामोल्लेख, युद्ध के मोर्चे लगाना, सैन्य व्यवस्था तथा युद्ध क्षेत्र में मारकाट, वीरों जातियों तथा स्थानों के नामां का उल्लेख किया है। जोगीदास ने पद संख्या में बहुत मनमानी की है। इनके इस छन्द में चरण संख्या क्रमश- ३८, ७४, १००, १२, ८, १०, १६, १० पाई जाती है। गुलाब कवि ने भी इस छन्द में १२ वर्ण प्रत्येक चरण में रखे हैं। इन्होंने इस छन्द में युद्ध का वर्णन किया है।

किशुनेश ने भी सर्वत्र १२ वर्णों का ही प्रयोग किया है, तथा पद संख्या चार रखी है, परन्तु एक स्थान पर पद संख्या २-२ तथा एक स्थन पर ८ पाई जाती है। इन्होंने इस छन्द के द्वारा युद्ध प्रयाण, सैन्य वर्णन, परामर्श, कूच, लूअ, युद्ध में तोप चलने व उसके गोलों के टकराने का रोमांचकारी वर्णन, राजा की प्रशंसा, तथा युद्धस्थल में मारकाट का वर्णन है।

श्रीधर के द्वारा प्रयुक्त भुजंगी छन्द में १२, १३ व १४ वर्णन पाए जाते हैं। इस छन्द द्वारा उन्होंने वीर जातियों सेना, युद्ध प्रयाण आदि के वर्णन किये हैं। इनका भी यह छन्द भुजंग प्रयात के अधिक निकट है। विवेचन से स्पष्ट हे कि उपर्युक्त कवियों के द्वारा प्रयुक्त यह छन्द भुजंग प्रयात के ही अधिक निकट है।

त्रोटक तोटक तौड़क टोटक किशुनेश, श्रीधर  (१२ वर्ण ४ सगण) किशुनेश ने इस छन्द का सर्वत्र शुद्ध रुप में प्रयोग किया है। उन्होंने आश्रयदाता के शौर्य परामर्श, सैन्य, युद्ध क्षेत्र की मारकाट, नीति आदि का वर्णन इस छन्द में किया है।
श्रीधर के द्वारा इस छन्द के प्रयोग में खूब मनमानी की गई है। इन्होंने प्रत्येक चरण में ९ या १० वर्ण रखे हैं तथा गण दोष भी पाया जाता है। छन्द की पद संख्या अनिश्चित है। एक उदाहरण निम्न प्रकार है-
"बुधवंत जो इमि होइ, काल जाने सोइ।
अति तेज तरुन प्रकाश, सतवंत वंदउ जास।।'
उपर्युक्त पंक्तियों में वर्ण संख्या क्रमश- ९, ७, १० व ९ है।
इन कवियों द्वारा इसका तोटक, तोड़क, टोटक आदि नामों से प्रयोग किया गया है।

भुजंग प्रयात

चन्द जोगीदास जोगीदास किशुनेश धूसरायसा (पृथ्वीराज)

 (प्रति चरण १२ वर्ण तथा य य य य होते हैं) 

चंद ने कहीं कहीं १३ तथा १४ वर्ण तक एक चरण किशुनेश में रखे हैं पर अधिकांश १२ वर्ण ही है। इन्होंने इस छन्द द्वारा युद्ध में जाने वाले वीरों की नामावली तथा युद्ध का उल्लेख किया है।

जोगीदास ने इस छन्द का एक स्थान पर दलपति राव के युद्ध वर्णन के लिए प्रयोग किया है। छन्द की पद संख्या अनिश्चित है तथा गणदोष भी पाया जाता है।
उदाहरण निम्न प्रकार है-

"हंसै देखिनारद सारद गावै।
लयें वीर कर आप ठाड़ौ बजावै।'

उपर्युक्त छन्दांश की द्वितीय पंक्ति में १३ वणर्ं हैं, तथा यगण का क्रम दोनों पदों में दोषपूर्ण है।

किशुनेश द्वारा प्रयोग किये गये भुजंगप्रयात में वर्ण तथा गण क्रम शुद्ध प्रतीत होता है, पर पद संख्या इन्होंने भी निश्चित नहीं रखी है। अधिकांश स्थानों पर पद संख्या चार है, एक स्थान पर आठ पद एक छन्द में पाये जाते हैं। इस छन्द के द्वारा किशुनेश ने सेना, युद्ध के समय परामर्श तथा तोप चलने और डंका बजने आदि का वर्णन किया है।

पृथ्वीराज कवि ने घूस रासया में घूस के रौद्र रुप का वर्णन करने के लिये इस छन्द का प्रयोग किया है।

मोतिदाम मुतियादाम

जोगीदास मोती गुलाब 

(१२ वर्ण चार जगण प्रत्येक चरण में होते हैं) 

जोगीदास ने इस छन्द द्वारा सेनाओं के जूझने, हथियारों की मारकाट, शूरवीरों की युद्ध सज्जा आदि का वर्णन किया है। किशुनेश ने इस छन्द को मोतीदाम तथा मोती दो नामों से प्रयुक्त किया है। इसके द्वारा इन्होंने सेना, दूत प्रेषण, युद्धस्थल की मारकाट तथा दाँव-पेंच आदि का वर्णन किया है। श्रीधर ने इस छन्द द्वारा आश्रयदाता का शौर्य,सेना प्रयाण, युद्ध आदि का वर्णन किया है। इनके इस छन्द की पद संख्या अनिश्चित है।

नाराच

जोगीदास श्रीधर

(प्रति चरण १६ वर्ण ज र ज र ज ग होते हैं।) 

छछूंदर रायसा जोगीदास ने इस छन्द द्वारा हथियारों की मारकाट का स्वाभाविक वर्णन किया है। इनके इस छन्द की पद संख्या अनिश्चित है।

श्रीधर ने शूरवीरों की युद्ध सज्जा तथा सेना-प्रयाण आदि के वर्णन के लिये इस छन्द का प्रयोग किया है।

छछूंदर रायसा में कवि ने इस छन्द द्वारा छछूंदर के रौद्र रुप का चित्रण बड़े स्वाभाविक ढंग से किया है। इसमें पद संख्या १६ पाई जाती है।

मालती

गुलाब

(प्रत्येक पद में २३ वर्ण ७ भगण तथा अंत में दो गुरु वर्ण होते हैं।)

गुलाब द्वारा प्रयुक्त मालती सदैव दोष पूर्ण हैं। डॉ. टीकमसिंह ने भी इन्हें सदोष बतलाया है।

दुर्मिल

गुलाब

इसमें प्रत्येक चरण में २४ वर्ण तथा आठ सगण होते हें। गुलाब क द्वारा प्रयुक्त दुर्मिल सदोप है। इनके इस छन्द की प्रथम पंक्ति में २२ वर्ण तथा चतुर्थ पंक्ति में यति भंग दोष पाया जाता है।

सवैया

प्रधान कल्याण सिंह भैरोलाल

प्रधान कल्याणसिंह के द्वारा प्रयुक्त किया गया सवैया "मालती सवैया' है। इस छन्द द्वारा इन्होंने यात्रा का साधारण सा वर्णन किया है। भैरोंलाल का सवैया भी मालती ही है। इनके सवैया में यत्र तत्र गण दोष पाया जाता है। इस छन्द द्वारा इन्होंने यात्रा, परामर्श, वीर दर्पोक्ति, युद्ध प्रयाण तथा युद्ध वर्णन किया है।

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