Hitopdesh


मित्रलाभ
  1. सुवर्णकंकणधारी बूढ़ा बाघ और मुसाफिर की कहानी
  2. कबुतर, काक, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी
  3. मृग, काक और गीदड़ की कहानी
  4. भैरव नामक शिकारी, मृग, शूकर, साँप और गीदड़ की कहानी
  5. धूर्त गीदड़ और हाथी की कहानी

सुहृद्भेद

  1. एक बनिया, बैल, सिंह और गीदड़ों की कहानी
  2. धोबी, धोबन, गधा और कुत्ते की कहानी
  3. सिंह, चूहा और बिलाव की कहानी
  4. बंदर, घंटा और कराला नामक कुटनी की कहानी
  5. सिंह और बूढ़ शशक की कहानी
  6. कौए का जोड़ा और काले साँप की कहानी

हितोपदेश

सुहृद्भेद

३. सिंह, चूहा और बिलाव की कहानी

उत्तर दिशा में अर्बुदशिखर नामक पर्वत पर दुदार्ंत नामक एक बड़ा पराक्रमी सिंह रहता था। उस पर्वत की कंदरा में सोते हुए सिंह की लटाके बालों को एक चूहा नित्य काट जाया करता था, तब लटाओं के छोर को कटा देख कर क्रोध से बिल के भीतर घुसे हुए चूहे को नहीं पा कर सिंह सोचने लगा --

क्षुद्रशत्रुर्भवेद्यस्तु विक्रमान्नैव लभ्यते।
तमाहन्तु पुरस्कार्यः सदृशस्तस्य सैनिकः।।

अर्थात, जो छोटा शत्रु हो और पराक्रम से भी न मिले तो उसको मारने के लिए उसके चाल और बल के समान घातक उसके आगे कर देना चाहिए।

यह सोचकर उसने गाँव में जा कर भरोसा दे कर दधिकर्ण नामक बिलाव को यत्न से ला कर माँस का आहार दे कर अपनी गुफा में रख लिया। बाद में उसके भय से चूहा भी बिल से नहीं निकलने लगा -- जिससे यह सिंह बालों के नहीं कटने के कारण सुख से सोने लगा। जब चूहे का शब्द सुनता था तब तब माँस के आहार से उस बिलाव को तृप्त करता था।

फिर एक दिन भूख के मारे बाहर घूमते हुए उस चूहे को बिलाव ने पकड़ लिया और मार डाला। बाद में उस सिंह ने बहुत समय तक जब चूहे को ने देखा और उसका शब्द भी न सुना, तब उसके उपयोगी न होने से बिलाव के भोजन देने में भी कम आदर करने लगा। फिर दधिकर्ण आहारबिहार से दुर्बल हो कर मर गया।

उत्तर दिशा में अर्बुदशिखर नामक पर्वत पर दुदार्ंत नामक एक बड़ा पराक्रमी सिंह रहता था। उस पर्वत की कंदरा में सोते हुए सिंह की लटाके बालों को एक चूहा नित्य काट जाया करता था, तब लटाओं के छोर को कटा देख कर क्रोध से बिल के भीतर घुसे हुए चूहे को नहीं पा कर सिंह सोचने लगा --

क्षुद्रशत्रुर्भवेद्यस्तु विक्रमान्नैव लभ्यते।
तमाहन्तु पुरस्कार्यः सदृशस्तस्य सैनिकः।।

अर्थात, जो छोटा शत्रु हो और पराक्रम से भी न मिले तो उसको मारने के लिए उसके चाल और बल के समान घातक उसके आगे कर देना चाहिए।

यह सोचकर उसने गाँव में जा कर भरोसा दे कर दधिकर्ण नामक बिलाव को यत्न से ला कर माँस का आहार दे कर अपनी गुफा में रख लिया। बाद में उसके भय से चूहा भी बिल से नहीं निकलने लगा -- जिससे यह सिंह बालों के नहीं कटने के कारण सुख से सोने लगा। जब चूहे का शब्द सुनता था तब तब माँस के आहार से उस बिलाव को तृप्त करता था।

फिर एक दिन भूख के मारे बाहर घूमते हुए उस चूहे को बिलाव ने पकड़ लिया और मार डाला। बाद में उस सिंह ने बहुत समय तक जब चूहे को ने देखा और उसका शब्द भी न सुना, तब उसके उपयोगी न होने से बिलाव के भोजन देने में भी कम आदर करने लगा। फिर दधिकर्ण आहारबिहार से दुर्बल हो कर मर गया।

 

विषय सूची

 

विग्रह

  1. पक्षी और बंदरो की कहानी
  2. बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और खेतवाले की कहानी
  3. हाथियों का झुंड और बूढ़े शशक की कहानी
  4. हंस, कौआ और एक मुसाफिर की कहानी
  5. नील से रंगे हुए एक गीदड़ की कहानी
  6. राजकुमार और उसके पुत्र के बलिदान की कहानी
  7. एक क्षत्रिय, नाई और भिखारी की कहानी

संधि

  1. सन्यासी और एक चूहे की कहानी
  2. बूढ़े बगुले, केंकड़े और मछलियों की कहानी
  3. सुन्द, उपसुन्द नामक दो दैत्यों की कहानी
  4. एक ब्राह्मण, बकरा और तीन धुताç की कहानी
  5. माधव ब्राह्मण, उसका बालक, नेवला और साँप की कहानी

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