राजस्थान

मेवाड़ : भौगोलिक पृष्ठभूमि

मेवाड़ की जमीन और पैदावार

अमितेश कुमार


यहाँ की समतल भूमि पैदावार के लिए बहुत अच्छी है। उनके खरीफ (सियालू), तथा रबी (आलू) दोनों फसलें होती है। यहाँ पैदा होने वाले फसलों में गेहूँ, मक्की, ज्वार, मूंग, उड़द, चना, चावल, तिल, सरसों, जीरा, धनिया, रुई, तंबाकू, ईख तथा अफीम मुख्य हैं। रबी की फसल में विशेषकर कुओं तथा कुछ हद तक तालाबों से सिंचाई की जाती है। पहाड़ी प्रदेश में पैदावार कम तथा सीमित है। ढलुआ क्षेत्रों में, जहाँ हल नहीं चल सकते, जमीन को खोदकर खेती की जाती है। इस प्रणाली को यहाँ वालरा (वल्लर) कहते हैं। ऐसे क्षेत्र की मुख्य फसल तो मक्का है, लेकिन पहाड़ियों के बीच के हिस्सों में, जहाँ पानी भरा रहता है, चावल भी पैदा होता है। मेवाड़ क्षेत्र में पैदा होने वाले व्यापारिक फसलों में अफीम और रुई प्रमुख है। वैसे अफीम की खेती अब सीमित हो गयी है।

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