राजस्थान

मेवाड़ रियासत के जंगली व घरेलू पशु-धन

अमितेश कुमार


अन्य स्थानों की तरह मेवाड़ में भी मांसाहारी, चृणचर व उड़नेवाले हर तरह के पशु पक्षी मिलते हैं। इनमें से कुछ मुख्य जानवर निम्नांकित हैं।

 

सिंह

सिंह अरावली पर्वत, खैराड़ व डपरमाल आदि इलाकों में बहुतायत में थे तथा आस पास के गाँवों के चौपायों को इनका खतरा बना रहता था। कालनुक्रम में निरन्तर शिकार के कारण इनकी जनसंख्या कम हो गई थी।

शेर

इसको बघेरा या अघबेसरा भी कहते हैं और टीनरया, चौफूल्या आदि नाम से इसके और भी भेद हैं। यह पहाड़ियों पर पाये जाते थे। छोटे चृणचर जानवरों को मारकर यह गुजारा करता था।

चीता

यह मेवाड़ के हुरड़ा, भीलवाड़ा और चित्तौड़ जिलों में पाये जाते थे। यह महाराणा के शिकारी कारखानों में हिरण की शिकार के लिए रखे जाते थे।

भेड़िया

मेवाड़ी में इसे बरघड़ा और ल्याली कहते हैं। छोटे जानवरों का भक्षण कर अपना काम चलाता है।

बन्दर

यहाँ की प्रजाति के बन्दर काले मुँह वाले, सफेद रंग के होते हैं।

रीछ

यह पूर्वी, पश्चिमी व दक्षिणी पहाड़ों में अक्सर मिलता है।

सांभर

यहा एक तृणचर पशु है। चीतला सांभर जिसके बदन पर सुनहरे रंग के सफेद धब्बे होते हैं, दक्षिणी जयसमंद तथा पश्चिमी पहाड़ों पर झुंडों में मिलता है तथा शिकार के रुप में इस्तेमाल होता है।

हरिण

इसकी कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं। कोई काला और छीकला और कोई चौसींगा (चार सिंगों वाला) जिसको भेड़ला और कहीं-कहीं बूटाड़ भी कहते हैं।

जरख

यह मेवाड़ में बहुतायत में मिलता है। ग्रामीण लोगों की मान्यता रही है कि इस पर डाकिन सवारी करती है, इस लिए इसे यहाँ डाकिन का घोड़ा भी कहा जाता है।

इसके अलावा जंगलों में सिकारगोश (कुत्ते से कुछ छोटे कद का मांसाहारी जानवर), जंगली कुत्ता, सूअर, लोमड़ी, हाथी आदि कई जानवर मिलते हैं।

पालतू जानवरों में हाथी, घोड़े, भैंस, गाय, बकरी, भेंड़, गदहा आदि मुख्य हैं। ऊँट पालने का प्रचलन कम रहा है। घोड़े महाराणा स्वरुप सिंह के समय तक राजपूतों के घरों बहतायत में पालतु पशु के रुप में

रखे जाते थे। उड़ने वाले पालतू पक्षियों में सफेद बत्तक, मुर्गा व कबूतर प्रमुख है। जंगली पक्षियों के रुप में गिद्ध, ढ़ीच, चील, शिकरा, कौवा, तोता, कबूतर, मोर, जंगली मुर्गे, कोयल, पपीहा, तीतर बटेर, हरियल आदि अनेक पक्षियों का नाम लिया जा सकता है। इसके अलावा कई अनेकानेक पक्षी कुछ खास मौसमों में यहाँ प्रवास के लिए आते रहते हैं।

 

 

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