राजस्थान

मेंवाड़ की भूमि संरचना

अमितेश कुमार


अरावली पर्वत जिसका झुकाव नीचे को प्रायः पूर्व की ओर है, मुख्यतया ग्रेनाइट का बना है। भीतरी घाटियों में कई प्रकार के क्वाट्र्ज पत्थर तथा स्लेट भी विद्यमान हैं। बीच में नीस और साइनाइट के चट्टान भी पाए जाते हैं। नीस चट्टानें घाटियों की नीचे वाले तहों में उपलब्ध है। खैरवाड़ा के दक्षिण में रतीला पत्थर, हार्न सिल्वर पौरफिरी आदि मिलते हैं। असके अलावा जावर के निकट अबरक की मिट्टी और क्लोराइड स्लेट। पाया जाता है। नीले और लाल मार्लस और सड़ी मिट्टी के पत्थर भी खैरवाड़ा तथा जावर के आसपास मिलते हैं।

इस क्षेत्र में पाये जाने वाले विभिन्न तरह के पत्थरों का इस्तेमाल निर्माणादि कार्य के लिए होता रहा है। उदयपुर के निकट सामान्य गेलेराइट तथा बैसाल्ट पाये जाते है। यहाँ से कुछ मील दूर देवी माता के निकट से ट्रोपिअन चट्टानें मिल जाती हैं। ढेवर के निकट व देबारी की पहाड़ियों में रेतीला पत्थर बहुतायत में पाया जाता है। देबारी के पत्थर अधिक मुलायम हैं। महुवाड़ा, ढीकली आदि गाँवों में गुलाबी रंग के पत्थर पाये जाते हैं, जो चक्की बनाने के काम मे आते हैं। उदयपुर से करीब २ मील के फासले पर आसमानी व सफेद रंग के पत्थर मिलते हैं। इनमें चूने की मात्रा बहुतायत मे होती है। राजनगर में अच्छे कि के संगमरमर निकाले जाते हैं। इस संगमरमर से विभिन्न कार्यों हेतु चूना भी निकाला जाता है। चित्तौड़ में काला-पत्थर (संग मूसा) पाया जाता है, जो अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। ॠषभदेव और खैरवाड़ा के बीच फैले भाग में दाग वाला पत्थर निकलता है, जिससे विभिन्न कलाकृतियाँ बनाकर बेची जाती है। मेरवाड़ा और खैराड़ के पहाड़ी जिलो में शिस्ट पत्थर पाये जाते हैं। मगरी में नीस बहुतायत में है। कंकर पहाड़ों में नहीं पाया जाता, परन्तु मैदानी भागों में बहुत मिलता है।

नोट - वह स्लेट जिसमें क्लोरीन का अंश अधिक पाया जाता है।

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