मालवा

दशार्ण क्षेत्र में उपज व वन- संपदा

अमितेश कुमार


विंध्य पर्वत के आसपास चारों तरफ सैकड़ों मीलों तक उपजाऊ कृषि भूमि है, जो बहुत उपजाऊ मानी जाती है। यहाँ प्राप्त होने वाली उपजाऊ काली मिट्टी की सतह तो कहीं- कहीं ३०- ४० फीट तक गहरी है। यहाँ गेहूँ तथा चना का उत्पादन विशेष रुप से होता है, लेकिन धान, कपास व बाजरा बिल्कुल नहीं उपजाए जाते।

वनसंप्रदा के दृष्टिकोण से भी यह क्षेत्र बहुत धनी है। यहाँ तेलिया व पीला दोनों कि के सागौन मिलते हैं। खजूर व पशाल के वृक्ष विशेष महत्व के माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त आम, महुआ, जामुन, करंज, नीम, बड़, पीपल, अर्जुन खैर, बेर, तेंदू व बाँस के वृक्ष भी प्रचुरता मे पाये जाते है। पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक वृक्ष औषधीय महत्व के हैं। इनमें दमाविनाशक अड़ूसा व ऋदय रोग में लाभदायक पीली कनेर महत्वपूर्ण है। पुष्पों में कमल, केतकी ,पारिजात, हर- श्रृंगार, मौलिश्री, सुगंधरा, मेंहदी, चमेली, मोगरे, गेंदे, अमलताश, गुलमास, कदंब, गुलतारा आदि प्रमुख है।

 

विषय सूची


Top

Copyright IGNCA© 2004