मगध

जतरा

पूनम मिश्र


१.

उम न उम मण्डि रेङ्गेतन
चिकयञ् बोयो चटु रपुद्जन्
उम न उम द: तेतङ् तन
चिकयञ बोयो तुम्ब रोचोद्जन

ओकोत: अते पठि बबए: नम् औलेद
होन्को दोको लन्दबड़तन
चिमए स:अते टेण्ड: इलि: नम औलेद
गणको दोको रसिकतन

हे माँ, भूख लगी है।
क्या कर्रूँ बेटा, घड़ फूट गया।
हे माँ, प्यास लगी है।
क्या कर्रूँ बेटा, तूम्बा चटक गया।

कहाँ से चटई का धान खोजकर लाया,
लड़के हँस-बोल रहे हैं
कहाँ से हँडिया खोजकर लाया,
बच्चे खुश हो रहे हैं।

२.

नङ् रेन् होड़ोको
हतुको दुबकेद
नङ्ेन् प्रजाको
दिसुम् को दुबकेद

हतुको दुबकेद
पिड़िलोयोङ्को बइकेद
दिसुमक्रो दुबरकेद
अड़िकुण्डिको बइकेद

पुरखे लोगो ने
गाँव को बसाया।
पूर्वज लोगो ने
देश को बसाया।

गाँव को बसाया
टाँड़ दोन को बनाया।
देश को बसाया
खेत दाने को बनाया।

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