कबीरदास

कबीर के द्वारा किये गए सामाजिक सौहार्द के कार्य


कबीर साहब का आविर्भाव जिस समय हुआ, उस समय तक सारे देश में मुसलमान फैल हो चुके थे। ये सभी मुसलमान हिंदूओं के साथ बसने के लिए बेवश थे। ऐसे नाजुक समय में जरुरत इस बात की थी कि कोई इन्हें संघर्ष का रास्ता छोड़कर मेल- मिलाप के लिए तत्पर बनाना, दोनों की कतियाँ निष्पक्ष होकर बताना और दोनों की जुझारु कट्टरता को दूर करना। उस समय की इस ऐतिहासिक आवश्यकता की पूर्ति कबीर साहब ने की और दूरवर्ती जातियों को मजहबों और साधना पद्धतियों को मिलाने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने ऐसी साधना प्रचलित किए, जिसमें निर्गुण और सगुण दोनों के सह- अस्तित्व की संभावना थी, जिसमें ऊँच- नीच, जाति- पाति, स्री- पुरुष के अनुचित भेदभाव के लिए कोई अवसर नहीं था। इस साधना पद्धति में सभी बराबर थे।

 

 

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छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के बीच सामान्य जन का मसीहा "कबीर'


Content Prepared by Mehmood Ul Rehman

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