हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 64


IV/ A-2064

शान्तिनिकेतन

5.3.44

पूज्य पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       मैं बीच में अस्वस्थ हो गया था। इस बीच आपके दो पत्र आये थे। शान्तिनिकेतन आश्रम की ओर से एण्ड्रूज़ साहब की निधन तिथि मनाई जाती है। पिछली बार मंदिर में कलकत्ते के प्रधान पादरी साहब ने अपना प्रवचन दिया था। इस बार किसी विशिष्ट सज्जन को बुलाया जायेगा। मैंने जिस दिन आपका पत्र पाया, उसी दिन उसे आफिस में भेज दिया था। मुझे बहुत बुखार था। मुझे बाद में सूचना मिली कि निधन तिथि को ही शान्तिनिकेतन की ओर से स्मृति-दिवस मनाया जायेगा।

       जनपद विषयक आपके पत्र का अभी तक मैंने जवाब नहीं दिया। मैं ज़रा विस्तृत रुप से ही उस पर लिखना चाहता हूँ। यदि आप राय देंगे तो विश्वभारती पत्रिका या मधुकर में भी लिख सकता हूँ।

       आपका स्वास्थ्य इस समय कैसा है। मैं सकुशल हूँ।

       आपका टीकमगढ़ वाला निमंत्रण पूरा करने के लिये समय निकालूँगा। इस समय तो थोड़ा व्यस्त हूँ। परन्तु कलम पाने के उत्साह में कब निकल पड़ूँगा, सो कह नहीं सकता?

       भाई यशपाल जी से नमस्कार कहें। आशा है, वे प्रसन्न हैं।

आपका

हजारी प्रसाद  

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली