हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 58


IV/ A-2059

विश्वभारती पत्रिका

21.03.43

हिन्दी भवन

शान्ति निकेतन,बंगाल

पूज्य पंडितजी,

              सादर प्रणाम

       आपका कृपा-पत्र मिल गया। विश्वभारती पत्रिका के अब तक के प्रकाशित सभी अंक रजिस्टर्ड बुक पोस्ट से भिजवा दिया है। आशा करता हूँ, ठीक समय पर मिल जाएगा। इधर कुछ दिनों से मेरी आँखें ठीक-ठीक कगम नहीं कर रही हैं, इसीलिये पढ़ने-लिखने में कम परिश्रम करता हूँ। ज़रा आँखे और ठीक हो जायँ तो नदी महिमा वाला लेख पूरा कर्रूँगा। इस बीच श्री जगदीश प्रसाद जी चतुर्वेदी का भी एक पत्र आया है, जिसमें उन्होंने मुझसे बुंदेलखण्डी विश्वकोश में एक लेख लिखने का अनुरोध किया है। आँखों की अस्वस्थता के कारण ही उसमें भी विलंब हो सकता है। मैं उनको अलग से भी पत्र लिखूँगा।

       यहाँ सब कुशल है। आशा करता हूँ, आप सानन्द हैं। पद्मा (हजारी बाग) से श्री मुक्त जी ने लिखा था कि आप उस ओर आने वाले हैं। यदि उधर आवें तो मुझे भी लिखें। मैं भी आ जाऊँगा। और यदि आप कलकत्ते की ओर आना चाहते हों तो इधर भी आना न भूलें। आशा करता हूँ, वहाँ सब लोग सानंद हैं।

आपका

हजारी प्रसाद

पुनश्च:

       श्रीमान् महाराजा साहब को पत्रिका के सब अंक भिजवा दिए थे। और नया भी भेजता रहता हूँ।

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली