हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 46


IV/ A-2045

शान्तिनिकेतन

21.5.41

श्रध्देय पंडित जी,

              सादर प्रणाम!

       दोनों कृपा-पत्र मिले। आपका भेजा हुआ पत्र देख कर मैं अपने आपके विषय में ही कुतूहली हो गया हूँ। आपके मन में मैंने इतना अच्छा स्थान पाया है, यही मेरा परम सौभाग्य है। सन् १९३३ में पहली जनवरी को आपने मेरा एक लेख देख कर पहली बार खूब प्रशंसा की थी। मैं उससे इतना उत्साहित हुआ था कि कह नहीं सकता। उस पत्र को मैंने अपने सर्टिफिकेट के बंडल में डाल दिया। यह पत्र भी उसी की शोभा बढ़ायेगा। मुझे बिल्कुल भरोसा नहीं है कि मेरी वहाँ पुछवाई होगी। परन्तु आपकी शुभाकांक्षा मुझे इस सिलसिले में मिल गई, इतना लाभ तो हो ही गया। अब आप दरख्वास्त देने को कहते हैं तो मेरे मन में दो कारणों से संकोच होता है-

       (१) आपके confidential पत्र के पहुँचने के बाद मेरा application जाना क्या उसकी confidential nature के विषय में संदेह नहीं उत्पन्न कर देगा?

       (२) आपके इतने जोरदार पत्र के बाद मेरा अर्जी देना क्या ठीक है? आपने लिखा है कि The only difficulty is to pursue the poet to lend इत्यादि, इस बात को दृष्टि में रख कर क्या एप्लिकेशन भेजना ठीक होगा?

       यही सब सोचकर मैंने आपसे पूछना उचित समझा। यदि आप कहें तो दे दूँ। मुझे आशा एकदम नहीं है। ३१मई तक अर्जी पहुँचनी चाहिए। यहाँ से २९ को भी भेजूँगा तो ठीक समय पर पहुँच जायेगी। आप उत्तर शीघ्र दें। मैं इस बीच अर्जी तैयार रखता हूँ। मैं केवल इतना ही चाहता हूँ कि आपकी चिट्ठी हल्की न पड़ने पावे।

       जहाँ तक मेरी योग्यता का प्रश्न है, वह तो मुझे भलीभाँति मालूम है। पर अब मुझे वैसा बन ही जाना होगा, जैसा आपने लिखा है। आपकी वाणी सत्य हो, यही मेरा प्रयत्न होगा।

       मेरी उमर ३४ वर्ष है। दो महीने कम। आपने not more than forty लिखा है। ठीक ही है। पर ऐसा मालूम होता है कि आप और भी ६ वर्ष की तैयारी का मौका देते हैं। एक बार बड़ी गद्दी मिलने पर तो अपनी इज्जत बचाते ही समय निकल जाता है, तब कुछ पढ़ना-लिखना, तैयार होना कहाँ संभव होता है! सबका यही इतिहास है। बड़ी गद्दी पाने पर बिरले ही मेहनत कर पाते हैं। खैर, इसकी अभी फिलहाल कोई चिन्ता नहीं है।

जातिभेद अलग से भेज रहा हूँ।

आशा है, आप सानन्द हैं।

आपका

हजारी प्रसाद

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली