हजारीप्रसाद द्विवेदी के पत्र

प्रथम खंड

संख्या - 5


IV/ A-2003        

शान्तिनिकेतन

1.4.35

श्रध्देय पंडित जी,

              प्रणाम!

       Received your Letter No 1,2 and 3 सबके अनुसार कार्रवाई कर दी गई है। अब तक कितने सज्जनों के पत्र आ गये हैं। पं. राम नरेश त्रिपाठी और शान्ति प्रिय जी इन्दौर के सम्मेलन में जा रहे हैं, नहीं आयेंगे। पंत जी ने, सुना है, वहाँ के कवि सम्मेलन की सभा का पति होना सकार लिया है। श्री मैथिलिशरण गुप्त जी अपने बीमार बच्चे की देख-रेख में हैं, उनसे अनुरोध करना भी अन्याय है। श्री सियाराम जी पूर्वनिश्चय के अनुसार वर्धा जा रहे हैं श्री सुभद्राजी अस्वस्थ है; जैनेन्द्र जी पशोपश में दोनों ही आना चाहते हैं, पर अगर विवश न हो गये तो। भला श्री श्रीराम शर्मा जी और श्री सरस्वती देवी का जो उन्होंने साफ़-साफ़ तेरह को आ जाने का आश्वासन दिया है। और चिट्ठियाँ अभी तक नहीं आई हैं, पर जान पड़ता है, इन्दौर का सम्मेलन सब चौपट कर देगा।

       और सब कुशल है।

       सब मित्रों को मेरा प्रणाम कह दीजियेगा।

आपका

हजारी प्रसाद

       मैंने एक छोटा-सा आर्टिकल लिखा है हमारे साहित्य का भी एक लक्ष्य है। उसकी कापी करा कर आपको भेजेंगे। अगर आपको पसन्द होगा तो यहाँ आने वाले मित्रों को सुनाना और डिस्कस करना चाहूँगा। छोटा ही है। १५-२० मिनट का।

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र १९९३, पहला संस्करण: १९९४

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प्रकाशक : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली एव राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली