देवनारायण फड़ परम्परा  Devnarayan Phad Tradition

पाँचों भाईयों की फौज और रावजी से बदला

देवनारायण के पुत्र एवं पुत्री बिला-बिली का जन्म


भगवान देवनारायण माता साडू से आकर कहते हैं अब हम लौटकर बैकुंठ में वापस जायेगें। हमारा दिया वचन पूरा हुआ। आपकी झोलियां खेलें हैं। अब आप मुझे हंसी-खुशी विदा करो।

पीपलदे की आंखों मे आंसु देखकर देवनारायण कहते हैं क्या हुआ, आप क्यों रोती है ?

पीपलदेजी कहती है कि भगवान मेरे दिन कैसे कटेंगे ? भगवान कहते हैं कि पीपलदे मैंने आपको जो बीला दिया था वो कहां हैं ? पीपलदेजी कमरे का ताला खोलकर बीले को लेकर आती है। छोटा सा बीला था जब रखा था, अब ये बीला बड़ा हो गया है, जैसे मां के गर्भ में बच्चा बड़ा होता है, उसी तरह बीले में बच्चा पल रहा था। भगवान देवनारायण भैरुजी को कहते है कि इस बीले के दो फाड़ करो। एक भाग में बीली बाई थी और दूजा फाड़ मे बीला था। ये दोनों पीपलदेजी को देते हैं और कहते हैं ये दोनों तुम्हारे बेटा-बेटी है, इनको पालो ये तुम्हारी सेवा करेगें।

 

 
 

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