देवनारायण फड़ परम्परा  Devnarayan Phad Tradition

देवनारायण का जन्म एवं मालवा की यात्रा

साडू माता द्वारा छोछु भाट को जहर का भोजन खिलाने की कोशिश 


साडू माता सोचती है कि भाटजी तो जीवित ही वापस आ गये है। इसलिए भाटजी के खाने में जहर मिला देती है। देवनारायण और भाटजी साथ में खाना खाने बैठते हैं। भगवान को सारी बात का पता होता है कि भाट के खाने में जहर मिला हुआ है। जब साडू माता खाना परोसती है तब न बचाकर देवनारायण भाटजी को परोसा जहर वाला खाना खुद सामने रख लेते हैं और अपने लिये परोसा खाना भाटजी के सामने रख देते हैं।

दोनों भोजन करना शुरु करते हैं। सा माता को पता चल जाता है कि जहर वाला खाना भगवान खा रहें हैं। सा माता सोचती है कि नारायण जहर वाला खाना खाकर मर जायेगें। अब क्या करे ? यह सोचकर वो बहुत दुखी होती है और रोने लगती है।

तब नारायण माताजी से पूछते हैं कि माताजी क्या बात है, आप रो क्यों रही हैं ? इतना कहकर देवनारायण उबासी लेते हैं तो सा माता को देवनारायण के मुंह में सारा ब्रमाण्ड दिखाई देता है। धरती आकाश और कई जानवर विचरण करते देख चकित हो जाती है और सा माता को विश्वास हो जाता है कि ये तो तीनों लोकों के नाथ हैं। इनका जहर से कुछ नहीं बिगड़ने वाला है, इनकों कोई नहीं मार सकता हैं।

खाना खाने के बाद देवनारायण दुधीया नीम के पास जाकर सारा जहर उगल देते है। कहा जाता है कि उस दिन से नीम कड़वा हो गया।

छोछू भाट से सारी बात पता चलने पर नारायण सा माता से अपने परिवार के बारे में सवाल करते हैं कि किस तरह से मेरे काका, बाबासा मारे गये हैं, और किसने मारा है ? उसका बदला लेना है और कल ही गोठांंं चलना होगा।

 

 
 

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