देवनारायण फड़ परम्परा  Devnarayan Phad Tradition

बगड़ावतों और रावजी का युद्ध

बाबा रुनपाथ और रावजी का युद्ध


उधर रावजी अपने ५२ गढ़ो के खास सामन्तो जिनमें दियाजी, कालूमीर पठान, टोडा का सोलंकी, इत्यादि के साथ अपनी सेना को रुपायली में पहला हमला (बाबा रुपनाथ पर) करने भेजते हैं। वहां बाबा रुपनाथजी अपने सभी नागा साधुओं की फौज के साथ युद्ध के लिये तैयार होते है।  

बाबा रुपनाथजी रावजी की फौज को आते देख अपने पालतु कुत्तो को खुला छोड़ देते है। गाथा के अनुसार इनकी संख्या ५०० बताई गई है। रावजी की फौज इन कुत्तो के हमले से घबरा जाती है। ऊपर से नागा साधुओं के हमले से भाग छूटती है। और रावजी के यहां वापस लौट आती है। उनके कई सैनिक इस लड़ाई में मारे जाते हैं।

 

 
 

पिछला पृष्ठ   ::  अनुक्रम   ::  अगला पृष्ठ