देवनारायण फड़ परम्परा  Devnarayan Phad Tradition

रानी जयमती का अवतार और विवाह

रानी जयमती रावजी के महल में


रानी जयमती और हीरा राण पहुंच जाते हैं रानी जयमती रावजी को अपने नजदीक नहीं देना चाहती इसलिए वह रावजी से कहती है कि हमारे लिये अलग रावडा (महल) बनवाओ, तब हम आपके साथ रहेंगे। रावजी नई रानी के लिये नया महल बनाने की जिद मान लेते हैं और महल बनवाने का काम शुरु हो जाता है। महल बनाने के लिये सैकड़ों कारीगर दिनभर लगे रहते हैं। दिन में कारीगर काम करते हैं लेकिन रात में रानी जयमती और हीरा उसे जाकर बिगाड़ देती थी। ऐसा करते हुए भी महल महीनों में तैयार हो जाता है।

बहुत इन्तजार करने पर रानी जयमती व्याकुल हो जाती है। फिर वह हीरा से पूछती है कि महीने तो बीत गए, बगड़ावत कब मुझे लेने आएगें। हीरा कहती है वे नही आएगें। वे अपने काम में लग गए होगें, भैंसे चराने में उलझ गए होगे। रानी कहती है कि सवाई भोज ने वचन दिया है उनका वचन महादेव का वचन है वे जरुर आएगें।

महीने पूरे होने पर जयमती हीरा से परवाणा लिखवाती है, कि जैसे सीता रावण की कैद में थी उसी तरह मैं राण में रावजी की कैद में हूं। अपने वचन के अनुसार मुझे यहां से जल्दी छुड़वाकर ले जाओ। हीरा चील बनकर बगड़ावतों के यहाँ रानी का पत्र पहुंचाती है।

 

 
 

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