बुंदेलखंड संस्कृति

खेती के औजार

हल

यहाँ पर साधारण हल से काम लिया जाता है। यह और से सभी प्रकार की फसलों की जुताई का काम लिया जाता है।

बख या पटेला

लकड़ी के एक मोटे कुंदे में, लोहे की एक बजभर लंबी पट्टी लगाकर तथा उसमें एक बंब जोड़कर "बखर' बनाया जाता है। इसका काम खेत की घास को उखाड़ने में लिया जाता है।

पहटा

यह तीन या चार गज लंबी मोटी, लकड़ी की घरनी या कड़ी होती है। इसके दोनों सिरों पर रस्सियाँ बाँध कर उनमें बैल जोतते हैं। इससे खेत को बराबर करने तथा मिट्टी को महीन करते हैं।

खुर्पा

इसका प्रयोग मामूली घास- पात को काटने और भूमि को गाड़ने में किया जाता है।

हँसिया

इसका प्रयोग घास तथा फसल काटने में किया जाता है।

नारी या नाख

बाँस की एक पोली नली से बनाई जाने वाले, इस औजार से खेतों में बील बोया जाता है। इसका प्रयोग हल में बाँध करके किया जाता है। इसके द्वारा एक- एक या दो- दो दाना बीज डालना आसान होता है।

फावड़ा

इसका प्रयोग खेतों की क्यारियों को दुरस्त करने के लिए किया जाता है।

 

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र

Content prepared by Mr. Ajay Kumar

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