बुंदेलखंड संस्कृति

केशविन्यास


नारियों की केश- सज्जा

नारियों की सुंदरता और उसके आकर्षण के लिए बालों का सुसज्जित होना आवश्यक है। खजुराहो में भी बालों को बाँधना और उसको मोड़ना प्रायः प्रचलित था। यहाँ की नारियाँ बालों को पीछे की ओर बाँधकर तथा सिर के बीच ले जाकर मोड़कर बाँधती थी। इस प्रकार उनके बाल का कुछ खुला हुआ भाग पीठ पर फैल जाता था या उन्हें रुमाल से बाँधकर विन्यास किया जाता था। खजुराहों में नारियाँ प्रायः बालों को एक गाँठ देती है,पर इसके बाँधने का तरीका अलग- अलग है।

कभी- कभी नारियाँ लंबी वेणी को इकट्ठे करके एक बड़े गांठ बना देती थी और इस गाँठ पर बोरला नामक आभूषण पहनती थी। बोरला के अतिरिक्त विश्वनाथ मंदिर की एक महिला ने ताजनुमा गहने भी पहन रखा है। यहाँ बालों में पुष्प भी बांधने का रिवाज भी देखने को मिलता है। विश्वनाथ मंदिर में एक महिला का बांसुरी बजाते हुए देखाया गया है, जिसने गांठ द्वारा अपने बालों को पीछे की ओर बांध रखा है। इनके बालों में कीमती पत्थरों की वेणी है और आभूषण बालों के नीचे और ऊपर स्पष्ट दिखाई देते हैं। लंबे बालों वाली स्रियाँ बालों को घुंघराले बनाकर गर्दन पर छोड़ देती थी। झुमका या चारुलतिका जैसे आभूषणों का भी नारियाँ, बालों में उपयोग करती थी। माथे पर कहीं- कहीं कोमल घुंघराले बालों को लहराने दिया गया है। लंबी चुटियों का रिवाज नहीं था और न ही ढ़ीली चुटियों का। प्रायः बालों को बाँधकर कंधों के ऊपर ही सीमित कर दिया जाता था।

पुरुष की केश सज्जा

खजुराहो की प्रतिमाओं को देखकर ऐसा लगता है कि पुरुष की सज्जा में बालों को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है। लक्ष्मण मंदिर के एक पुरुष के बालों से आधुनिकता की झलक मिलती है, क्योंकि इसके बाल छोटे- छोटे कटे हुए हैं। प्रायः साधुओं के बालों में गाँठ बाँधने का रिवाज देखने को मिलता है। खजुराहो की प्रतिमाओं में कुछ पुरुष प्रतिमा में दाढ़ी और मुँछ देखने को मिलती है। अग्नि देवता की दाढ़ी में गांठ बंधी हुई दिखाई देती है। यहाँ लंबी दाढ़ी रखने का रिवाज देखने को नहीं मिलता , जबकि लंबे बालों को अच्छी तरह से सजाने और संवारने का प्रमाण मिलता है।

 

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Content prepared by Mr. Ajay Kumar

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