बुंदेलखंड संस्कृति

मंदिर में मूर्तियाँ

वर्तमान में यहाँ सिर्फ तीन योगिनी मूर्तियाँ ही विद्यमान है। सबसे बड़ी कोठरी में महिषासुरमर्दिनी की अष्टभुजी मूर्ति है। इसके सिंहासन पर हिंगलान' लेख उत्कीर्ण है। इसके अलावा दो कोठरियों में माहेश्वरी व ब्राह्मणी की मूर्तियाँ विद्यमान हैं। माहेश्वरी ललितासन मुद्रा में हैं तथा इनके समीप ही नंदी आसीन है। त्रिभुजी तथा चतुर्मुखी ब्राह्मणी खड़गासन मुद्रा में खड़ी है। भारी- भरकम, नारी और मोटी दहयिष्टी वाली इन प्रतिमाओं में खजुराहों की मूर्तिशैली का प्रारंभिक रुप प्रतिबिंबित होता है।

इस प्रकार खजुराहो मंदिरों के परिचर्यात्मक अध्ययन से स्पष्ट होता है कि हिंदू मंदिर शिव, विष्णु और देवी मंदिर हैं। इन मंदिरों में प्रायः सभी देवताओं को मंदिर के भीतर तथा बाहर स्थान मिला है। दूसरी ओर जैन मंदिर अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखते हैं, उनकी प्रतिमाएँ खजुराहो शैली की परंपरागत प्रतिमाएँ हैं।

भारतीय मंदिर परंपरा में करोड़ों देव हैं। खजुराहो उन देवों का लघु विश्व लगता है। इतिहास ने हमें यह सुंदर उपहार दिया है, जो कला और धर्म दोनों को एक साथ रखे हुए है।

 

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© इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र

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