ब्रज-वैभव

ब्रज का स्वरुप एवं सीमा

चार घाम और ब्रज


 

        भारत वर्ष के चारों कोनों पर स्थित चार पवित्र धाम भी सप्त महापुरियों की भाँति अपना अनुपम महत्व रखते हैं। इनमें से उत्तर, पूर्व और पश्चिम के तीन - बदरीनाथ, जगन्नाथ और द्वारिका - श्री कृष्ण के धाम होने से ब्रज अर्थात मथुरा मण्डल से धनिष्ठ सम्बध रखते हैं। केवल दक्षिण का चौथा धाम रामेश्वर ही श्री राम के सेतु-बंध की स्मृतिमें निर्मित हुआ है।

        ब्रज भक्तो की भावना के अनुसार वैसे इन चारों धामों के मूल स्रोत ब्रज में ही माने जाते हैं। यहाँ के आदिवदरी नामक स्थान में बदरीनाथ और अलकनंदा आदि उत्तर के तीर्थ हैं, राधा कुंड के निकट गिरिराज की सधन कुँजों में पूर्व के जगन्नाथ विराजमान हैं कोसी के अंचल में पश्चिम के द्वारिकाधीश तथा कामबन में दक्षिण के रामेश्वर की विधमानता है। इस प्रकार चारों धामों के कारण भी ब्रज की अपूर्व महिमा मानी गयी है।

 

 

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